शुक्रवार, 1 अगस्त 2008

वक्त की रफ़्तार

तेज़ी से सरकता समय
मुझे करता है व्यथित
मैं रोकना चाहती हूँ
इसकी रफ़्तार
जीना चाहती हूँ
हर पल को
महसूसना चाहती हूँ इसे
ये वक्त थम -थम कर गुजरे
ताकि बस जाए हर लम्हा
मेरी निगाहों में
हमेशा तेरे - मेरे ज़ज्बातों में
मेरी हर साँस रखे याद
गुज़रे कल को
हर व्यक्ति बन जाए
मेरे लिए खास

4 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

bahut badhiyaa !!

बेनामी ने कहा…

vyastata k daur me jindagi masoos karne ka b samay nahi milta hai. very nice.

Amit Pachauri (अमित पचौरी) ने कहा…

"जीना चाहती हूँ
हर पल को
महसूसना चाहती हूँ इसे
ये वक्त थम -थम कर गुजरे "

-- सुंदर अभिव्यक्तियाँ । हम सभी चाहते हैं समय के प्रवाह को रोकना ।

shelley ने कहा…

amit pachauri ji,
mere blog par aane or comment karne k liye dhanyad