सोमवार, 18 अगस्त 2008

ससुराल

भर आंखों में

रंगीले सपने

छोड़ के गुडिया

घर को अपने

पहन के जोड़ा सुहाग का

सजा कर माथे पर बिंदिया
लगा के आंखों में काजल

आ पहुँची ससुराल

बिलख रहे थे मम्मी - पापा

एक तरफ़ खड़ा था भइया

एक तरफ़ थी बहाना

तोड़ दिया उसने तो मोह पुरानी सखियों
का

मन में बज उठी तरंगें

ले रहा अरमान हिलोरें
रह - रह
मुस्काते हैं नैन

आई है पति के संग की रैन

पर हाय रे !

ससुराल की दुनिया ऐसी न्यारी है

अन्दर तो काँटोंकी फुलवारी

ऊपर से हरी क्यारी है

सासु की आंखों में ममता का है नाम नही

ननद तो जैसे वैरी जनम- जनम की

कितनी भी सेवा कर ले

शवसुरको तुष्टि तुष्टि नही

बिस्तर के सिवा पति को

उसकी पहचान नही

बाहर लोक लाज में बंधी

अन्दर की रिश्तों जंजीरों में
जाए कहाँ वह

पिता का घर भी बंद हुआ

घुट - घुट कर वह जी रही इस हाल में

लोग समझ बैठते

सुखी है ससुराल में



6 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अन्दर तो काँटोंकी फुलवारी
ऊपर से हरी क्यारी है


आपका एक एक शब्द हकीकत बयान
कर रहा है ! ऊपर ऊपर ही सब ठीक
दीखता है ! इस हकीकत के लिए आपको
प्रणाम करता हूँ ! क्योंकि आपने एक एक शब्द
चुन चुन के सचाई से लिखा है !

अभिन्न ने कहा…

शानदार रचना जानदार अभिवयक्ति
बिंदिया,झुमके,मेहँदी और दुल्हन के चित्र मनमोहक है,
साथ ही मायके से ससुराल आने पर दुल्हन के मन की व्यथा का जीवन्त चित्रण.



अन्दर तो काँटोंकी फुलवारी
ऊपर से हरी क्यारी है
सच्चाई से भरपूर

Pawan Kumar ने कहा…

अन्दर तो काँटोंकी फुलवारी
ऊपर से हरी क्यारी है

kya baat kahi! zamana kitnma bhi aage chala gaya ho bahu ki position samaaj me abhi bhi kai daayron me quaid hai. Pata nahi hum ghar ki bahuon ko beti ka darza kyon nahi de paate.

Sumit Pratap Singh ने कहा…

ससुराल
badiya rachna hai kintu kripya spelling sudharen...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

परिवार एवं इष्ट मित्रों सहित आपको जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! कन्हैया इस साल में आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करे ! आज की यही प्रार्थना कृष्ण-कन्हैया से है !

नीरज गोस्वामी ने कहा…

शेली जी
बहुत कड़वी सच्चाई से रूबरू करवाया है आपने...पता नहीं कितनी बहने लोक लाज के डर से ऐसे घुटन में अपना जीवन बिताने पर मजबूर हैं...
नीरज