सही कहा आपने- 'कितना दरिद्र हो गया हमारा वर्तमान'. फ़िर भी कविता को पुनः टाइप कर देती तो थोडी सुविधा हो जाती. स्वागत अपनी विरासत को समर्पित मेरे ब्लॉग पर भी.
आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है . आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा और बहुत खुशी है कि आप जबलपुर से है और ब्लागिंग कर रही है . वृद्धा के बारे में रचना प्रस्तुति बहुत बढ़िया लगी . धन्यवाद. कृपया मेरे ब्लॉग का अवलोकन करे. महेंद्र मिश्रा जबलपुर
Bahut sentimental vichar dhara............
janti hun sentimental hona aaj ke hisab se thik nahi par hoon.
Aisa kyo n kuch kar jayan hum
chale jane par v yaad aayen hum.
8 टिप्पणियां:
इस व्यथा को बार बार देखने और चिंतन की आवश्यकता है । आभार ।
oh....
आपकी प्रस्तुति को नमन
साधुवाद
"सुन लेना फरियाद किसी की,
होती है इमदाद बड़ी
आंसू को जो कन्धा दे दे,
चारों तीर्थ नहाता है" !!!
सही कहा आपने- 'कितना दरिद्र हो गया हमारा वर्तमान'. फ़िर भी कविता को पुनः टाइप कर देती तो थोडी सुविधा हो जाती. स्वागत अपनी विरासत को समर्पित मेरे ब्लॉग पर भी.
achchhi tarah se apane likha.badhai.
आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है . आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा और बहुत खुशी है कि आप जबलपुर से है और ब्लागिंग कर रही है . वृद्धा के बारे में रचना प्रस्तुति बहुत बढ़िया लगी . धन्यवाद. कृपया मेरे ब्लॉग का अवलोकन करे.
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर
http://mahendra-mishra1.blogspot.com
http://nirantar1.blogspot.com
http://prahaar1.blogspot.com
Bahut accha likha hai.
वृद्धा की व्यथा आज का एक सच !आप ने कविता के माध्यम से बहुत ही सही व्यथा लिखी.
धन्यवाद
एक टिप्पणी भेजें