शनिवार, 18 अक्तूबर 2008

सपना देखा








बच्चो के लिए लिखी यह कहानी मैंने बचपन में लिखी थी .यह कहानी मेरेलिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योकि यह मेरी पहली रचना है जो किसी पत्रिका में प्रकाशित हुई हो।


9 टिप्‍पणियां:

विक्रांत बेशर्मा ने कहा…

बहुत ही सुंदर कहानी है !!!!!!!

प्रकाश गोविंद ने कहा…

प्रिय शैली जी,
मै समझ सकता हूँ .........किसी भी रचनाकार की पहली प्रकाशित रचना उसके लिए अनमोल खुशी के क्षण होते हैं ! मेरी पहली रचना जब मैगजीन में प्रकाशित हुयी थी तो दिल हुआ था सारी मैगजीन स्वयं खरीद लूँ ! न जाने कितने लोगों को दिखायी वो अपनी अधकचरी रचना ! यकायक कितना ऊर्जामय हो गया था मेरा संसार ! अपने व्यक्ति विशेष होने का भ्रम ............ आह वो पहली रचना !

लेकिन एक बात की प्रशंसा करनी होगी की आपका हिन्दी भाषा ज्ञान बहुत अच्छा था !

Jaidev Jonwal ने कहा…

jo kal sapna tha wo aaj hakikat hai jo aaj anubhav hai wo kal umid thi yehi to jindgi hai yahan kabhi bhi kuch bhi kiya gaya jaya nahi jaata ati utam vichaar

Unknown ने कहा…

hi dear friend,
how r u?
pls visit this blog for great information..

http://spicygadget.blogspot.com/.

thank you dear
take care..

BrijmohanShrivastava ने कहा…

पांचवीं लाइन में ""विटप की छावं ""८ वीं में "" ख़ुद को पहिचानना"" दस वीं में"" शशि की शीतलता"" -१३ वीं लाइन में"" बल्लरी लताओं के बीच"" आगे:"" बालारमण की किरण"" "",रोंद्ता गर्वित जलयान"" इन जैसे कई और अन्य शब्दों से सहसा यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है कि यह बचपन में लिखी गई कविता होगी क्योंकि शब्दों के इस मनोरम संगम पर एक वैशिष्ट्य अभिव्यंजित हो रहा है जो यह दर्शाता है कि साहित्यकार शब्दों की गरिमा से कितना परिचित होगा /बहुत बहुत मुबारकवाद /

बेनामी ने कहा…

very gud presentation, thnx
दीपावली की हार्दिक शुभकामना

मनीषा ने कहा…

wish u a very happy diwali may it full of life and happiness.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

सुंदर कहानी!
शुभकामनाएं।

Bahadur Patel ने कहा…

achchha prayas hai.likhate raho.